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मधूर और अन्जली ने खुद को बिहार के दिल में एक परिथ्यत जगह में पाया.
हवा आद्रता और नम तुरिथ्वी की खुज़बू के साथ मोटी थी,
केवल क्रिकेट्स की कभी, कभाड चहकती है और गाउं के दूर के गुन गुनाते हैं.
मधूर, एक लंबा, गहरे रंग की चमरी वाली आद्मी काली आखो और एक मांस्पेशीयों की काया के साथ,
हफ्तों से अन्जली को जोर रहा था.